बताउं क्या तुझे , ऐ हमनशी , किससे मुहब्बत है
मैं जिस दुनिया में रहता हुं वो उस दुनिया की औरत है
सरापा रंगों - बू है पैकरे - हुस्नो - लताफत है
बहिश्ते - गोश होती है शुहर - अफ्शानिया उसकी |
वो मेरे आस्मां पर अख्तरे - सुबहे - कयामत है
सुरेया- बख्त है जोहरा - जवी है माहे - तलत है
मेरा इमां है , मेरी ज़िन्दगी है , मेरी जन्नत है
मेरी आखों को खीश कर गईं बावानियां उसकी |
वो इक मिजराब है और छेड़ सकती है रागे - जाँ को
वो चिंगारी है लेकिन फूंक सकती है गुलिस्तां को
वो बिजली है जला सकती है सारी बज्में इम्कां को
अभी मेरे ही दिल तक है शरर - सामानिया उसकी |
साभार : मजाज़
पैकरे-हुस्नो-लताफत = सौंदर्य और सुकुमारता की प्रतिमा
शुहर-अफ्शानिया =बातें करना
सुरेया-बख्त ,माहे तलत = चांद- तारे जैसा चेहरा
खीश =चकाचौंध
वावानिया =आभा
शरर-सामानिया =अंगारे बरसाना
मैं जिस दुनिया में रहता हुं वो उस दुनिया की औरत है
सरापा रंगों - बू है पैकरे - हुस्नो - लताफत है
बहिश्ते - गोश होती है शुहर - अफ्शानिया उसकी |
वो मेरे आस्मां पर अख्तरे - सुबहे - कयामत है
सुरेया- बख्त है जोहरा - जवी है माहे - तलत है
मेरा इमां है , मेरी ज़िन्दगी है , मेरी जन्नत है
मेरी आखों को खीश कर गईं बावानियां उसकी |
वो इक मिजराब है और छेड़ सकती है रागे - जाँ को
वो चिंगारी है लेकिन फूंक सकती है गुलिस्तां को
वो बिजली है जला सकती है सारी बज्में इम्कां को
अभी मेरे ही दिल तक है शरर - सामानिया उसकी |
साभार : मजाज़
पैकरे-हुस्नो-लताफत = सौंदर्य और सुकुमारता की प्रतिमा
शुहर-अफ्शानिया =बातें करना
सुरेया-बख्त ,माहे तलत = चांद- तारे जैसा चेहरा
खीश =चकाचौंध
वावानिया =आभा
शरर-सामानिया =अंगारे बरसाना