Sunday, January 5, 2014

अमित श्रीवास्तव ....... " केहि विधि प्यार जताऊं ..........."




कबहुँ आप हँसे ,
कबहुँ नैन हँसे ,
कबहुँ नैन के बीच ,
हँसे कजरा  ।

कबहुँ टिकुली सजै ,
कबहुँ बेनी सजै ,
कबहुँ बेनी के बीच ,
सजै गजरा । 

कबहुँ चहक उठै ,
कबहुँ महक उठै ,
लगै खेलत जैसे,
बिजुरी औ बदरा । 

कबहुँ कसम धरें ,
कबहुँ कसम धरावै ,
कबहूँ रूठें तौ ,
कहुं लागै न जियरा । 

उन्है निहार निहार ,
हम निढाल भएन  ,
अब केहि विधि  ,.
प्यार जताऊं सबरा । .....   अमित श्रीवास्तव 

15 comments:

  1. अरे दी...प्यार तो इन सब के बिना भी जताया जा सकता है न :p बहुत ही सुंदर प्यार भरी प्यारी सी रचना ...:))

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  2. मन में सब सुख पाऊँ, कैसे प्यार जताऊँ

    मन को भायें, मन की बातें,
    कैसे उलझायीं हैं रातें।

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  3. क्या बात है...सुन्दर गीत.....
    प्यार की कोई भी परिभाषा नहीं है
    मन के भावों की कोई भाषा नहीं है |

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  4. अति सुन्दर प्रीत की गीत !
    नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
    नई पोस्ट लघु कथा

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  5. एकदम क्लासिकल अन्दाज़ है... मनभावन!!

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  6. सुकोमल सी अभिव्यक्ति रस भरी !!

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  7. कल 11/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  8. बहुत सुंदर ! बहुत प्यारी रचना !

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  9. वाह वाह...
    बहुत ही प्यारा और बहुत ही सुन्दर गीत...
    :-)
    http://mauryareena.blogspot.in/

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  10. बेहतरीन अंदाज़..... सुन्दर
    अभिव्यक्ति....

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