Thursday, August 4, 2011

अल्लाह अगर तौफ़ीक न दे .........

अल्लाह  अगर  तौफ़ीक   न  दे  इंसान   के   बस   का   काम  नहीं 
फ़ैज़ाने - मोहब्बत१   आम  सही , इर्फ़ाने - मोहब्बत२   आम  नहीं 

ये  तूने   कहा  क्या  ऐ   नादां  , फ़ैयाज़ी -  ऐ - क़ुदरत३  आम  नहीं 
तू  फिक्रो - नज़र४  तो  पैदा   कर , क्या  चीज़  है  जो  इनाम  नहीं 

यारब ये मुक़ाम-ऐ-इश्क़ है क्या ?गो दीदा-ओ-दिल५  नाकाम नहीं 
तस्कीन   है   और  तस्कीन   नहीं ,  आराम  है  और  आराम  नहीं 

आना  है  जो  बज्मे - जानां६  में , पिन्दारे - ख़ुदी  को७  तोड़ के आ 
ऐ  होशो - ख़िरद  के८  दीवाने , यां  होशो - ख़िरद  का   काम   नहीं 

इश्क़  और  गवारा  ख़ुद  कर   ले  बेशर्त  शिकस्ते - फाश९  अपनी 
दिल  की  भी  कुछ  उनके साज़िश है ,तन्हा ये नज़र का काम नहीं 


सब  जिसको  असीरी१०   कहते  हैं , वो  तो  है  असीरी  ही  लेकिन 
वो  कौन  सी  आज़ादी  है  जहां , जो  आप  ख़ुद अपना दाम११  नहीं 

                                                                     -जिगर मुरादाबादी 
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१ :प्रेम की उदारता 
२ :प्रेम की पहचान 
३ :प्रकृति की उदारता 
४ :चिन्तन और परख 
५ :दृष्टि और दिल 
६ :प्रेयसी की महफ़िल 
७ :अहंकार 
८ :बुद्धि के 
९ :पराजय 
१० :क़ैद 
११ :जाल  

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