हर तरह के जज्बात का ऐलान है आँख
शबनम कभी ,शोला कभी तूफ़ान है आँखें
आँखों से बड़ी कोई तराजू नहीं होती
तुलता है बशर जिसमें वो मीज़ान हैं आँखें
आँखें ही मिलाती हैं जमाने में दिलों को
अनजान हैं हम तुम अगर अनजान हैं आँखें
लब कुछ भी कहें इससे हक़ीक़त नहीं खुलती
इंसान के सच झूठ की पहचान हैं आँखें
आँखें न झुकें तेरी किसी गैर के आगे
दुनिया में बड़ी चीज़ मेरी जान ! हैं आँखें
-साहिर लुधियानवी
बहुत बढिया,
ReplyDeleteसाहिर जी को पढना अपने आप में शुकून और आनंद देता है।
हर तरह के जज्बात का ऐलान है आँख
शबनम कभी ,शोला कभी तूफ़ान है आँखें
आँखें ही मिलाती हैं जमाने में दिलों को
ReplyDeleteअनजान हैं हम तुम अगर अनजान हैं आँखें
Nice .
"आँखें न झुकें तेरी किसी गैर के आगे
ReplyDeleteदुनिया में बड़ी चीज़ मेरी जान ! हैं आँखें "
बस नाम ही काफी है......साहिरजी !!
आँखों से बड़ी कोई तराजू नहीं होती
ReplyDeleteतुलता है बशर जिसमें वो मीज़ान हैं आँखें.. bhaut hi acchi panktiya...
इंसान के सच झूठ की पहचान हैं आँखें ..
ReplyDeleteसाहिर साहब की अलग पहचान झाई उर्दू शायरी में ... बहुत ही कमाल की गज़ल उठाई है आपने ..