Tuesday, January 11, 2011

" दावत "

रात - कुड़ी ने दावत दी
सितारों के चावल फटक कर यह देग किसने चढ़ा दी

चाँद की सुराही कौन लाया
चाँदनी की शराब पी कर आकाश की आँखें गहरा गईं

धरती का दिल धड़क रहा है
सुना है आज टहनियों के घर फ़ूल मेहमान हुए हैं

आगे क्या लिखा है
अब इन तक़दीरों से कौन पूछने जाए

उम्र के कागज़ पर -
तेरे इश्क़ ने अगूँठा लगाया , हिसाब कौन चुकाएगा !

क़िस्मत ने इक नग़मा लिखा है
कहते हैं कोई आज रात वही नग़मा गाएगा

कल्प - वृक्ष की छाँव में बैठ कर
कामधेनु के छलके दूध से किस ने आज तक दोहनी भरी !

हवा की आहें कौन सुने ,
चलूँ ,आज मुझे तक़दीर बुलाने आई है

साभार :  अमृता प्रीतम

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