Sunday, March 13, 2011

" तरबियत "

ज़िन्दगी कुछ  और  शै  है ,इल्म  है  कुछ  और  शै |
ज़िंदगी   सोज़े - जिगर , इल्म   है  सोज़े - दिमाग़ ||
इल्म में दौलत भी  है ,क़ुदरत  भी है ,लज्ज़त भी है |
एक  मुश्किल है कि हाथ  आता  नहीं अपना सुराग ||
अहले - दानिश  आम  हैं , कमयाब हैं अहले - नज़र |
क्या तअज्जुब  है  कि  ख़ाली  रह  गया तेरा अयाग ||
शैख़  !  मकतब  के  तरीक़ों  से  कुशादे - दिल  कहां |
किस तरह किबरीत से रोशन हो बिजली का चिराग ||

              साभार :इकबाल 
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सोज़े-जिगर =ह्रदय स्पर्शी 
अहले -दानिश =बुद्धिमान 
कमयाब =बहुत कम 
अहले -नज़र =दृष्टिवान 
अयाग =प्याला 
कुशादे -दिल =ह्रदय की विशालता 
किबरीत =गंधक  

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