Tuesday, January 25, 2011

25 january 2011

जागा जागा लगता  है  अब  सोये  भारत  का  इन्सान 
ऐसा  मेरा  मन कहता  है  बदला  रहा   है  हिन्दुस्तान

कोयलिया  के  स्वर बदले  है  यौवन बदला आमों  का
बदला बदला लगता है  कुछ नक्शा मुझको ग्रामों  का 
दिल दिमाग को दास बनाने वाला  बंधन  बदल   गया 
झंडा क्या बदला दिल्ली का  एक एक कण बदल गया 


मंजिल बदल गई भारत  की बदल  गए  सारे  सोपान 
ऐसा  मेरा  मन  कहता  है  बदल  रहा  है  हिन्दुस्तान !


पक्की बन  गई  हैं  दीवारें  हर  कच्ची  झोपड़ियो  की 
कलम पकड़ना सीख गई है ज़र्द उंगलिया बुढ़िया की 
कला के गूंगे आज बोल  कर मांग  रहे अधिकारों को 
श्रम  साहस  ने  चीर  दिया  है  तानाशाह  पहाडो  को 


आज स्वर्ग के लिए चुनौती लगते  है कल  के वीरान 
ऐसा मेरा मन  कहता  है  बदल  रहा  है  हिन्दुस्तान  !


           साभार : बालकवि  बैरागी 

1 comment:

  1. बहुत सुंदर .... गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें

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