हुए क्यों उस पे आशिक़ हम अभी से
लगाया जी को नाहक ग़म अभी से
दिला रब्त१ उससे रखना कम अभी से
जता देते हैं तुझ को हम अभी से
तिरे बीमारे-ग़म के हैं जो ग़म - ख्वार२
बरसता उन पे है मातम अभी से
तुम्हारा मुझ को पासे - आबरू३ था
वगर्ना अश्क़ थम जाते अभी से
मरा जाना मुझे ग़ैरों ने ऐ ज़ौक़
कि फ़िरते हैं खुशो-खुर्रम४ अभी से
साभार :ज़ौक़
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१-सम्बन्ध
२सहाभूतिकर्ता
३इज़्ज़त का ख्याल
४-अत्यन्त प्रसन्न