कहीं पढ़ा था और मुझे बहुत अच्छी लगी थी ,पर वहाँ इसके शायर का नाम नहीं लिखा था इसलिए नाम नहीं दे पा रही हूँ । अगर किसी को पता हो तो कृप्या बता दें जिससे मैं नाम भी लिख सकूँ और श्रेय उचित व्यक्ति को मिल सके .......
किसी की आँखों की नमी लिख रहा हूं
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं
खिलते नहीं हैं फूल अब इस गुलशन में
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
मिलने को मिल जाये कायनात सारी
तू जो नहीं है,तेरी कमी लिख रहा हूं.....
बेजान उन अश्कों की गमी लिख रहा हूं
अपने नाम कुछ बंजर ज़मीं लिख रहा हूं
-अज्ञात
अश्कों की गमी , आँखों की नमी !
ReplyDeleteबहुत सुदर
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गज़ल
ReplyDeleteहर शब्द की अपनी एक पहचान बहुत खूब क्या खूब लिखा है आपने आभार
ReplyDeleteये कैसी मोहब्बत है
बहुत सुन्दर
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