मोबाइल सचमुच कितना मोबाइल है
एक कान पे दफ्तर पहना है,
और दूजे पर
घर रक्खा है -
सारे काम मैं
दाएं कान से करता हूं
और बाकी घर के बाएं से
दाएं कान से मैनेजर ने पकडा
खाना खाते हुए
एक जरूरी ख़त है सर:
गैरेज से एक फोन आया
फिर दाएं कान पे -
क्लच प्लेट सर, टूट गई है-
कार्बोरेटर में कचरा था-
बाएं कान पे बीप हुई-
बीवी से कहा के होल्ड करो
-वह न्यूयार्क से बोल रही थी-
सर जोड के बैठी औरतों में, जब
कोइ बच्चा रोये तो
छाती से लगा के उसकी मां,
कुछ देर अलग हट जाती है-
कुछ ऐसे ही मीटिंग में..
मोबाइल कान पे रख के कोई
मीटिंग से उठ जाता है!
इक मय्यत पर देखा,
कान लगाये कोई,
सरगोशी में बोल रहा था
शायद पूछ रहा हो
किसी फ़रिश्ते से
गया है जो, पहुंचा के नहीं?
एक हिदायत बार-बार
इक नंबर पर आ जाती है
आउट आफ़ रीच है,
बाद में कोशिश करके देखें,
ये नंबर शायद उनका है
...बडे मियां का!
- गुलज़ार
एक कान पे दफ्तर पहना है,
और दूजे पर
घर रक्खा है -
सारे काम मैं
दाएं कान से करता हूं
और बाकी घर के बाएं से
दाएं कान से मैनेजर ने पकडा
खाना खाते हुए
एक जरूरी ख़त है सर:
गैरेज से एक फोन आया
फिर दाएं कान पे -
क्लच प्लेट सर, टूट गई है-
कार्बोरेटर में कचरा था-
बाएं कान पे बीप हुई-
बीवी से कहा के होल्ड करो
-वह न्यूयार्क से बोल रही थी-
सर जोड के बैठी औरतों में, जब
कोइ बच्चा रोये तो
छाती से लगा के उसकी मां,
कुछ देर अलग हट जाती है-
कुछ ऐसे ही मीटिंग में..
मोबाइल कान पे रख के कोई
मीटिंग से उठ जाता है!
इक मय्यत पर देखा,
कान लगाये कोई,
सरगोशी में बोल रहा था
शायद पूछ रहा हो
किसी फ़रिश्ते से
गया है जो, पहुंचा के नहीं?
एक हिदायत बार-बार
इक नंबर पर आ जाती है
आउट आफ़ रीच है,
बाद में कोशिश करके देखें,
ये नंबर शायद उनका है
...बडे मियां का!
- गुलज़ार
और दूजे पर
घर रक्खा है -
सारे काम मैं
दाएं कान से करता हूं
और बाकी घर के बाएं से
दाएं कान से मैनेजर ने पकडा
खाना खाते हुए
एक जरूरी ख़त है सर:
गैरेज से एक फोन आया
फिर दाएं कान पे -
क्लच प्लेट सर, टूट गई है-
कार्बोरेटर में कचरा था-
बाएं कान पे बीप हुई-
बीवी से कहा के होल्ड करो
-वह न्यूयार्क से बोल रही थी-
सर जोड के बैठी औरतों में, जब
कोइ बच्चा रोये तो
छाती से लगा के उसकी मां,
कुछ देर अलग हट जाती है-
कुछ ऐसे ही मीटिंग में..
मोबाइल कान पे रख के कोई
मीटिंग से उठ जाता है!
इक मय्यत पर देखा,
कान लगाये कोई,
सरगोशी में बोल रहा था
शायद पूछ रहा हो
किसी फ़रिश्ते से
गया है जो, पहुंचा के नहीं?
एक हिदायत बार-बार
इक नंबर पर आ जाती है
आउट आफ़ रीच है,
बाद में कोशिश करके देखें,
ये नंबर शायद उनका है
...बडे मियां का!
- गुलज़ार
अच्छी रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
वाह, बहुत सहज वर्णन, नयी शैली का।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया.वाह -वाह बहुत अच्छी रचना .सादर नमन
ReplyDeleteशायद पूछ रहा हो
ReplyDeleteकिसी फ़रिश्ते से
गया है जो, पहुंचा के नहीं...
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति