Monday, November 25, 2013

शेखर सुमन ....... "संघर्ष"

अंतहीन समंदर,आती जाती तेज़ लहरें,
एक आशंका लिए कि,
मझधार यह कहाँ ले जाएगी,
ज़िन्दगी से लड़ते- लड़ते मौत दे जाएगी,
एक किनारे की तलाश में,
निगाहें समेटना चाहती हैं समंदर,
मायूसी की घटा है चेहरे पर,
बयां करती एक दास्तान,
दरम्यान यह ज़िन्दगी मौत का
एक पल के झरोखे में मिटा जाएगी,
डूबना होगा अगर मुकद्दर मेरा,
लाख कोशिश न रंग लाएगी,
एक साहिल की तलाश में यह ज़िन्दगी बीत जाएगी...
क्या करूँ, मान लूं हार या करूँ संघर्ष आखिरी क्षण तक,
क्या होगा अंजाम यह तो तकदीर ही बताएगी........ 
 शेखर सुमन

3 comments:

  1. शेखर को पढ़ना हमेशा ही पसंद है मुझे । इस संकलन में काफी अच्छे लेखकों को पढ़ने का मौका मिलेगा ।अच्छी कोशिश निवेदिता जी ।

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  2. वैसे इस कविता का शीर्षक है "संघर्ष" और इसे मेरी ज़िंदगी की पहली "पूर्ण" कविता जैसा कुछ माना जा सकता है... आठवीं क्लास में लिखी थी करीब 16 साल पहले....

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    1. वैसे मैंने तो तुम्हारे फेसबुक पेज से ली थी और वहाँ कोई शीर्षक नहीं था ,इसलिए ऐसा हो गया ... अब ठीक कर दिया है .....

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