बराबर अपना है हर एक यार से इख़लास
न ये कि चार से नफरत तो चार से इख़लास
जो मेरा दुश्मने-जाँ है वो है उसी का दोस्त
करे है कब वो किसी दोस्तदार से इख़लास
न बोल मुझसे तू नासेह कि मैं हूँ दीवाना
तू होशियार है कर होशियार से इख़लास
बगैर रंजो-मुसीबत सिवाय हसरतो-यास
रखे है कौन दिले - बेक़रार से इख़लास
गुरुर था हमें क्या अपनी पारसाई का !
न था हमारा जब इस बादा-ख़्वार से इख़लास
जहाँ में जितने कि हैं बदनसीबो-बदकिस्मत
"ज़फ़र"वो रखते हैं इस बद-शुआर से इख़लास
-ज़फ़र
न ये कि चार से नफरत तो चार से इख़लास
जो मेरा दुश्मने-जाँ है वो है उसी का दोस्त
करे है कब वो किसी दोस्तदार से इख़लास
न बोल मुझसे तू नासेह कि मैं हूँ दीवाना
तू होशियार है कर होशियार से इख़लास
बगैर रंजो-मुसीबत सिवाय हसरतो-यास
रखे है कौन दिले - बेक़रार से इख़लास
गुरुर था हमें क्या अपनी पारसाई का !
न था हमारा जब इस बादा-ख़्वार से इख़लास
जहाँ में जितने कि हैं बदनसीबो-बदकिस्मत
"ज़फ़र"वो रखते हैं इस बद-शुआर से इख़लास
-ज़फ़र
jyada kuchh samajh me nahi aaya di :)
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