चले गए वे अपने घर से
पर मन से वे दूर नहीं हैं
चले गए वे इस जीवन से
लेकिन लगते दूर नहीं हैं !
अब न सुनोगे वे आवाजें, जब वे दफ्तर से आयेंगे !
मगर याद करने पर उनको,कंधे हाथ रखे पाएंगे !
अब न मिलेगी पुच्ची वैसी
पर स्पर्श तो बाकी होगा !
अब न मिलेगी उनकी आहट
पर अहसास तो बाकी होगा
कितने ताकतवर लगते थे,वे कठिनाई के मौकों पर !
जब जब याद करेंगे दिलसे , हँसते हुए, खड़े पाएंगे !
अपने कष्ट नही कह पाये
जब जब वे बीमार पड़े थे
हाथ नहीं फैलाया आगे
स्वाभिमान के धनी बड़े थे
पाई पाई बचा के कैसे, घर की दीवारें बनवाई !
जब देखेंगे खाली कुर्सी, पापा याद बड़े आयेंगे !
अब तो उनके बचे काम को
श्रद्धा से पूरे कर लेना !
उनके दायित्वों को ही बस
मान सहित पूरे कर लेना !
चले गए वे बिना बताये पर हमको आभास रहेगा
दुःख में हमें सहारा देने , पापा पास खड़े पाएंगे !
तिनका तिनका जोड़ उन्होंने
इस घर का निर्माण किया था !
बड़ी शान से, हम बच्चों को
पढ़ा लिखा कर,बड़ा किया था !
उनकी बगिया को महकाकर,यादें खुशबूदार रखेंगे !
हमें पता है हर सुख दुःख में,पापा पास खड़े पाएंगे ! ....... सतीश सक्सेना
चले गए वे अपने घर से
पर मन से वे दूर नहीं हैं
चले गए वे इस जीवन से
लेकिन लगते दूर नहीं हैं !
अब न सुनोगे वे आवाजें, जब वे दफ्तर से आयेंगे !
मगर याद करने पर उनको,कंधे हाथ रखे पाएंगे !
अब न मिलेगी पुच्ची वैसी
पर स्पर्श तो बाकी होगा !
अब न मिलेगी उनकी आहट
पर अहसास तो बाकी होगा
कितने ताकतवर लगते थे,वे कठिनाई के मौकों पर !
जब जब याद करेंगे दिलसे , हँसते हुए, खड़े पाएंगे !
अपने कष्ट नही कह पाये
जब जब वे बीमार पड़े थे
हाथ नहीं फैलाया आगे
स्वाभिमान के धनी बड़े थे
पाई पाई बचा के कैसे, घर की दीवारें बनवाई !
जब देखेंगे खाली कुर्सी, पापा याद बड़े आयेंगे !
जब देखेंगे खाली कुर्सी, पापा याद बड़े आयेंगे !
अब तो उनके बचे काम को
श्रद्धा से पूरे कर लेना !
उनके दायित्वों को ही बस
मान सहित पूरे कर लेना !
चले गए वे बिना बताये पर हमको आभास रहेगा
दुःख में हमें सहारा देने , पापा पास खड़े पाएंगे !
तिनका तिनका जोड़ उन्होंने
इस घर का निर्माण किया था !
बड़ी शान से, हम बच्चों को
पढ़ा लिखा कर,बड़ा किया था !
उनकी बगिया को महकाकर,यादें खुशबूदार रखेंगे !
हमें पता है हर सुख दुःख में,पापा पास खड़े पाएंगे ! ....... सतीश सक्सेना
श्रद्धा से पूरे कर लेना !
उनके दायित्वों को ही बस
मान सहित पूरे कर लेना !
चले गए वे बिना बताये पर हमको आभास रहेगा
दुःख में हमें सहारा देने , पापा पास खड़े पाएंगे !
तिनका तिनका जोड़ उन्होंने
इस घर का निर्माण किया था !
बड़ी शान से, हम बच्चों को
पढ़ा लिखा कर,बड़ा किया था !
उनकी बगिया को महकाकर,यादें खुशबूदार रखेंगे !
हमें पता है हर सुख दुःख में,पापा पास खड़े पाएंगे ! ....... सतीश सक्सेना
झकझोरती रचना-
ReplyDeleteसादर नमन-
आभार आदरणीय-