लोग कहते हैं कि "धीरे-धीरे
वक्त हर जख्म को भर देता है"
तुम भी लोगों की कही बातों में आ जाती हो
एक लम्हे के लिए
मुज्महिल हो के यही सोचती होगी शायद
"मेरे बचपन का वो साथी ,वही पागल लडका
वो भी भूल गया होगा मुझे"
लोग कहते हैं कि "धीरे-धीरे
वक्त हर जख्म को भर देता है"
बेसबब अपनी जफ़ाओं पे पशेमान न हो
लोग कहते हैं - मगर
ऐसा होता तो नहीं !
-मुसहिफ
धीरे धीरे वक्त हर जख्म को भार्देता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव लिए रचना |
आशा
लोगों को ये कहते तो मैने भी सुना है..
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना, सुंदर भाव
बढिया
bahut khoob!
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