जागा जागा लगता है अब सोये भारत का इन्सान
ऐसा मेरा मन कहता है बदला रहा है हिन्दुस्तान
कोयलिया के स्वर बदले है यौवन बदला आमों का
बदला बदला लगता है कुछ नक्शा मुझको ग्रामों का
दिल दिमाग को दास बनाने वाला बंधन बदल गया
झंडा क्या बदला दिल्ली का एक एक कण बदल गया
मंजिल बदल गई भारत की बदल गए सारे सोपान
ऐसा मेरा मन कहता है बदल रहा है हिन्दुस्तान !
पक्की बन गई हैं दीवारें हर कच्ची झोपड़ियो की
कलम पकड़ना सीख गई है ज़र्द उंगलिया बुढ़िया की
कला के गूंगे आज बोल कर मांग रहे अधिकारों को
श्रम साहस ने चीर दिया है तानाशाह पहाडो को
आज स्वर्ग के लिए चुनौती लगते है कल के वीरान
ऐसा मेरा मन कहता है बदल रहा है हिन्दुस्तान !
साभार : बालकवि बैरागी
दिल दिमाग को दास बनाने वाला बंधन बदल गया
झंडा क्या बदला दिल्ली का एक एक कण बदल गया
मंजिल बदल गई भारत की बदल गए सारे सोपान
ऐसा मेरा मन कहता है बदल रहा है हिन्दुस्तान !
पक्की बन गई हैं दीवारें हर कच्ची झोपड़ियो की
कलम पकड़ना सीख गई है ज़र्द उंगलिया बुढ़िया की
कला के गूंगे आज बोल कर मांग रहे अधिकारों को
श्रम साहस ने चीर दिया है तानाशाह पहाडो को
आज स्वर्ग के लिए चुनौती लगते है कल के वीरान
ऐसा मेरा मन कहता है बदल रहा है हिन्दुस्तान !
साभार : बालकवि बैरागी
बहुत सुंदर .... गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें
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