चांद मद्धम है आस्मां चुप है ,
नींद की गोद में जहां चुप है ।
दूर वादी में दूधिया बादल
झुक के पर्वत को प्यार करते हैं,
दिल में नाकाम हसरतें ले कर
हम तेरा इन्तजार करते हैं ।
इन बहारों के साये में आ जा
फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे
ज़िन्दगी तेरे नामुरादों पर
कल तलक़ मेहरबां रहे न रहे ।
रोज़ की तरह आज भी तारे
सुबह की गर्द में न खो जाएं
आ तेरे ग़म में जागती आंखें
कम से कम एक रात तो सो जाएं।
चांद मद्धम है आस्मां चुप है ,
नींद की गोद में जहां चुप है ।
साभार : साहिर लुधियानवी
नींद की गोद में जहां चुप है ।
दूर वादी में दूधिया बादल
झुक के पर्वत को प्यार करते हैं,
दिल में नाकाम हसरतें ले कर
हम तेरा इन्तजार करते हैं ।
इन बहारों के साये में आ जा
फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे
ज़िन्दगी तेरे नामुरादों पर
कल तलक़ मेहरबां रहे न रहे ।
रोज़ की तरह आज भी तारे
सुबह की गर्द में न खो जाएं
आ तेरे ग़म में जागती आंखें
कम से कम एक रात तो सो जाएं।
चांद मद्धम है आस्मां चुप है ,
नींद की गोद में जहां चुप है ।
साभार : साहिर लुधियानवी
bahut sunder collections hain saari ghazal acchi lagi
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