आगाज़ तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वह नाम नहीं होता
जब जुल्फ की कालिख में गुम जाए कोई राही
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता
हंस -हंस के जवां दिल के हम क्यों न चुने टुकडे
हर शख्स की किस्मत में इनाम नहीं होता
बहते हुए आंसू ने आखों से कहा थम कर
जो मय से पिघल जाए वह जाम नहीं होता
दिन डूबे हैं या डूबी बरात लिए कश्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता
साभार : मीना कुमारी
जब मेरी कहानी में वह नाम नहीं होता
जब जुल्फ की कालिख में गुम जाए कोई राही
बदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता
हंस -हंस के जवां दिल के हम क्यों न चुने टुकडे
हर शख्स की किस्मत में इनाम नहीं होता
बहते हुए आंसू ने आखों से कहा थम कर
जो मय से पिघल जाए वह जाम नहीं होता
दिन डूबे हैं या डूबी बरात लिए कश्ती
साहिल पे मगर कोई कोहराम नहीं होता
साभार : मीना कुमारी
उत्तम संकलन...
ReplyDeletesundar prastuti.
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार इस मोहक सुन्दर रचना को पढवाने के लिए...
ReplyDeleteजब जुल्फ की कालिख में गुम जाए कोई राही
ReplyDeleteबदनाम सही लेकिन गुमनाम नहीं होता
इस सुन्दर रचना से परिचय कराने के लिए धन्यवाद..
संकलन में आने के लिये और उत्साहवर्धन के लिए आप सबका आभार .
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