ज़िन्दगी कुछ और शै है ,इल्म है कुछ और शै |
ज़िंदगी सोज़े - जिगर , इल्म है सोज़े - दिमाग़ ||
इल्म में दौलत भी है ,क़ुदरत भी है ,लज्ज़त भी है |
एक मुश्किल है कि हाथ आता नहीं अपना सुराग ||
अहले - दानिश आम हैं , कमयाब हैं अहले - नज़र |
क्या तअज्जुब है कि ख़ाली रह गया तेरा अयाग ||
शैख़ ! मकतब के तरीक़ों से कुशादे - दिल कहां |
किस तरह किबरीत से रोशन हो बिजली का चिराग ||
साभार :इकबाल
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सोज़े-जिगर =ह्रदय स्पर्शी
अहले -दानिश =बुद्धिमान
कमयाब =बहुत कम
अहले -नज़र =दृष्टिवान
अयाग =प्याला
कुशादे -दिल =ह्रदय की विशालता
किबरीत =गंधक
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