कब हुजूमे - ग़म से मेरी जान घबराती नहीं
मै तो मर जाऊं , करूँ पर क्या मौत आती नहीं
कौन है जिसको नहीं डर आहे - सोजाँ का मेरे
कांपता शोला नहीं था या बर्क़ थर्राती नहीं
क्या हुआ बाद-अस्ल गर ज़ाहिर में है नेको-सिफ़ात
जौहरे - जाती पर उनका गैर - बदजाती नहीं
साफ़ खूब - ओ - जिश्त कह देता है मुँह पर आइना
बल बेदीदे का सफ़ाई आँख शरमाती नहीं
हम सरी करता है गुल आरिज़ से उसकी ऐ सबा
दो तमांचे मार कर तू उसको समझाती नहीं
पहुँचे हैं चाके - गरेबाँ ता बदामन हर घड़ी
मैं कहूँ क्यों कर कि वहशत पाँव फैलाती नहीं
याँ तो हम बातें बनाते हैं हज़ारों ऐ ज़फर
जा के वाँ कोई भी हमसे बात बन आती नहीं
साभार : ज़फर
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आहे-सोजाँ =जलती आह
पहुँचे हैं चाके - गरेबाँ ता बदामन हर घड़ी
मैं कहूँ क्यों कर कि वहशत पाँव फैलाती नहीं
याँ तो हम बातें बनाते हैं हज़ारों ऐ ज़फर
जा के वाँ कोई भी हमसे बात बन आती नहीं
साभार : ज़फर
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आहे-सोजाँ =जलती आह
बद-अस्ल=दुष्ट
नेको-सिफ़ात =अच्छी आदत वाला
जौहरे-जाती =निज गुण
खूब-ओ-जिश्त=अच्छा-बुरा
बल =लेकिन
बेदीदे =आँख
हमसरी=बराबरी
आरिज़ =गाल
बदामन =नीचे तक
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (17-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
खूबसूरत गज़ल चुन कर लायी हैं ...
ReplyDeleteआनन्द आया इस प्रस्तुति पर.
ReplyDeleteबेहद ही खुबसुरत गजल है। इसकी तारीफ में शब्द कम पड़ जाएगें। आभार। होली की शुभकामनाएॅ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteवन्दना जी ,संगीता जी ,उडन तश्तरी जी ,एहसास जी,कुंवर कुसुमेश जी
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिये आभारी हूं .....