देखा तो था यूं ही किसी ग़फ़लत -शआर ने
दीवाना कर दिया दिले - बेईख्तियार ने
ये आरज़ू के धुंधले खराबो ! जवाब दो
फिर किस की याद आई थी मुझको पुकारने
तुझको खबर नहीं मगर इक सादालौह को
बर्बाद कर दिया तेरे दो दिन के प्यार ने
मै और तुम से तर्के- मोहब्बत का आरजू
दीवाना कर दिया है गमे - रोज़गार ने
अब ऐ दिले - तबाह ! तेरा क्या ख़्याल है
हम तो चले थे काकुले - गेती संवारने ||
साभार : साहिर लुधियानवी
..........................................................................................................
ग़फ़लत - शआर =लापरवाही जिसका स्वभाव हो
खराबो =खंडहरो
सादालौह = सरल स्वभाव वाले
काकुले -गेती = संसार रूपी केश
दीवाना कर दिया दिले - बेईख्तियार ने
ये आरज़ू के धुंधले खराबो ! जवाब दो
फिर किस की याद आई थी मुझको पुकारने
तुझको खबर नहीं मगर इक सादालौह को
बर्बाद कर दिया तेरे दो दिन के प्यार ने
मै और तुम से तर्के- मोहब्बत का आरजू
दीवाना कर दिया है गमे - रोज़गार ने
अब ऐ दिले - तबाह ! तेरा क्या ख़्याल है
हम तो चले थे काकुले - गेती संवारने ||
साभार : साहिर लुधियानवी
..........................................................................................................
ग़फ़लत - शआर =लापरवाही जिसका स्वभाव हो
खराबो =खंडहरो
सादालौह = सरल स्वभाव वाले
काकुले -गेती = संसार रूपी केश
''किसी ने जो दिल की कहानी सुनाई,
ReplyDeleteतुम्हारी मुहब्बत बहुत याद आई।''
साहिर जी की बेहतरीन रचना पेश करने के लिए आभार।