ज़ुल्फ़ पर गीत लिखा , शेर नज़रों पै कहा
बन गई खुद ही ग़ज़ल -जब तेरी याद आई |
ख़ुशबू बन-बन के उड़ी
नींद रातों की मेरी
जब हवा चूम गई
मेहंदी हाथों की तेरी
बरसे हर सिम्त केवल -जब तेरी याद आई |
एक जोगिन की तरह
साँस हर गाने लगी,
शक्ल नज़रों में कोई
आने और जाने लगी,
घर बना राजमहल - जब तेरी याद आई |
नाम जब तेरा लिया
जल उठे दिल में दिए,
पास जब पाया तुझे
काले दिन गोरे हुए
गई दुनिया ही बदल- जब तेरी याद हुई |
साभार : नीरज
भाव पूर्ण कविता |
ReplyDeleteआशा
सरल और स्पष्ट रचना
ReplyDeleteनीरज तो नीरज ही हैं...लाजवाब....
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