जीना नज़र अपना हमें उसला नहीं आता
गर आज भी वो रश्के - मसीहा नहीं आता
मजकूर तिरी बज्म में किस का नहीं आता
पर ज़िक्र हमारा नहीं आता , नहीं आता
आता है दम आंखो में दमे - हसरते - दीदार
पर लब पे कभी हर्फे - तमन्ना नहीं आता
बेजा है दिल ! उसके न आने की शिकायत
क्या कीजिएगा फर्माइये , अच्छा नहीं आता
हम रोने पे आ जाएं तो दरिया ही बहा दें
शबनम की तरह से हमें रोना नहीं आता
किस्मत ही से लाचार हुं ऐ जौक वर्गना
सब फ़नमें हुं मैं ताक मुझे क्या नहीं आता
साभार : ज़ौक
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उसला = कदापि
रश्के - मसीहा =प्रेयसी
मज़कूर = ज़िक्र
ताक़ = दक्ष
गर आज भी वो रश्के - मसीहा नहीं आता
मजकूर तिरी बज्म में किस का नहीं आता
पर ज़िक्र हमारा नहीं आता , नहीं आता
आता है दम आंखो में दमे - हसरते - दीदार
पर लब पे कभी हर्फे - तमन्ना नहीं आता
बेजा है दिल ! उसके न आने की शिकायत
क्या कीजिएगा फर्माइये , अच्छा नहीं आता
हम रोने पे आ जाएं तो दरिया ही बहा दें
शबनम की तरह से हमें रोना नहीं आता
किस्मत ही से लाचार हुं ऐ जौक वर्गना
सब फ़नमें हुं मैं ताक मुझे क्या नहीं आता
साभार : ज़ौक
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उसला = कदापि
रश्के - मसीहा =प्रेयसी
मज़कूर = ज़िक्र
ताक़ = दक्ष
'इश्क है तो शिकायत न कीजिए,
ReplyDeleteऔर शिकवे हैं तो मुहब्बत न कीजिए।'