खुदा से हुस्न ने इक रोज़ यह सवाल किया |
जहां में क्यों न मुझे तूने लाज़वाल किया ?
मिला जवाब कि तस्वीरखाना है दुनिया |
शबे- दराज अदम का फ़साना है दुनिया ||
हुई है रंगे - तग्य्युर से जब नमूद इसकी |
वही हसीं है हकीक़त जवाल है जिसकी ||
कहीं करीब था ये गुफ्तगू कमर ने सुनी |
फलक पे आम हुई अख्तरे -सहर ने सुनी ||
सहर ने तारे से सुन कर सुनाई शबनम को |
फलक की बात बता दी जमीं के महरम को ||
फिर आये फूल के आंसू पयामे शबनम से |
कली का नन्हा सा दिल खून हो गया गम से ||
चमन से रोता हुआ मौसमे - बहार गया |
शबाब सैर को आया था सोगवार गया ||
साभार : इकबाल
............................................................................................................
लाजवाल =अमर
शबे- दराज =लम्बी रात
अदम =मृत्यु
रंगे -तग्य्युर =परिवर्तनशीलता के रंग से
जवाल = मिटना
कमर =चांद
अख्तरे-सहर =सुबह का तारा
महरम = भेदी
सोगवार = उदास
जहां में क्यों न मुझे तूने लाज़वाल किया ?
मिला जवाब कि तस्वीरखाना है दुनिया |
शबे- दराज अदम का फ़साना है दुनिया ||
हुई है रंगे - तग्य्युर से जब नमूद इसकी |
वही हसीं है हकीक़त जवाल है जिसकी ||
कहीं करीब था ये गुफ्तगू कमर ने सुनी |
फलक पे आम हुई अख्तरे -सहर ने सुनी ||
सहर ने तारे से सुन कर सुनाई शबनम को |
फलक की बात बता दी जमीं के महरम को ||
फिर आये फूल के आंसू पयामे शबनम से |
कली का नन्हा सा दिल खून हो गया गम से ||
चमन से रोता हुआ मौसमे - बहार गया |
शबाब सैर को आया था सोगवार गया ||
साभार : इकबाल
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लाजवाल =अमर
शबे- दराज =लम्बी रात
अदम =मृत्यु
रंगे -तग्य्युर =परिवर्तनशीलता के रंग से
जवाल = मिटना
कमर =चांद
अख्तरे-सहर =सुबह का तारा
महरम = भेदी
सोगवार = उदास
खुबसुरत भावाभिव्यक्ति.........
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