जो बजाय - खुद आह होती है
हाय वो क्या निगाह होती है
इक नज़र दिल की सम्त देख तो लो
कैसे दुनिया तबाह होती है
यूँ न पर्दा करो खुदा के लिए
देखो दुनिया तबाह होती है
वो भी है यक़ मुक़ामे - इश्क़ जहां
हर तमन्ना गुनाह होती है
हासिले - हुस्नो - इश्क़ उसे समझो
वो जो पहली निगाह होती है
एक ऐसा भी वक़्त होता है
मुस्कराहट भी आह होती है
साभार : जिगर मुरादाबादी
बहुत खूब लिखा है |
ReplyDeleteआशा
आदरणीय आशा दी ,हौसला बढाने के लिये आभारी हूं ।
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