इस तपिश का है मज़ा दिल ही को हासिल होता
काश मैं इश्क़ में सर - ता - ब - क़दम दिल होता
करता बीमारे - मोहब्बत का मसीहा जो इलाज़
इतना दिक़ होता कि जीना उसे मुश्किल होता
आप आइना - ए - हस्ती में है तू अपना हरीफ़
वर्ना यां कौन था जो तेरे मुकाबिल होता
होती गर उक्दा - कुशाई न यदे - अल्लाह के साथ
जोक हल क्योंकि मिरा उक्दा - ए - मुश्किल होता
साभार : ज़ौक
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तपिश =जलने का
सर - ता - ब - क़दम = सर से पांव तक
हरीफ़ = शत्रु
उकदा - कुशाई =समस्या का समाधान
उक्दा - ए - मुश्किल =कठिन समस्या
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeletebadhiya prayas
ReplyDeleteइस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।
ReplyDeletewah wah, shandar
ReplyDelete( jata hun pahle urdu sikh kar aata hun)
;)
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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