वो दिन है कौन सा कि सितम पर सितम नहीं
गर ये सितम है रोज़ तो इक रोज़ हम नहीं
ये दिल मुझे डुबो के रहेगा , कि सीने में
वो कौन सा है दाग़ जो गिर्दाबे - ग़म नहीं
अहले - सफ़ा का देखा न दामन किसी ने तर
गौहर है अपनी आब में ग़र्क और नम नहीं
गर आबे - दीद शर्बते - कौसर भी है तो क्या
जब तक कि उसमें चाशनी- ए- दर्दो -ग़म नहीं
जाता है आँखें बंद किए ज़ौक तू कहां
ये राहे - कू - ए - यार है राहे अदम नहीं
-ज़ौक